मोहनजोदड़ो
मोहनजोदड़ो चर्चा में क्यों है?
- पाकिस्तान में भारी बाढ़ ने सिंधु नदी के किनारे स्थित मोहनजोदड़ो के पुरातात्विक स्थल को "गायब होने के कगार" पर पहुँचा दिया है।
- मोहनजोदड़ो को विश्व धरोहर सूची से हटाया जा सकता है, यदि इसके संरक्षण एवं जीर्णोद्धार पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया।
मोहनजोदड़ो
- मोहनजोदारो सुक्कर सहर से 80 कम दूर, 5000 वर्ष पुराणी पुरातात्विक स्थल है।
- इसमें प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के दो मुख्य केंद्रों में से एक के अवशेष शामिल हैं, दूसरा हड़प्पा है, जो पंजाब प्रांत में 640 किमी उत्तर पश्चिम में स्थित है।
- मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ है ‘मृतकों का टीला’, विश्व के सर्वाधिक प्राचीन शहरों में से एक था एवं इसे प्राचीन सभ्यता के नियोजित शहर के रूप में जाना जाता है।
- शहर का विशाल आकार एवं सार्वजनिक भवनों तथा स्थापनाओं के इसके प्रावधान, एक उच्च स्तर के सामाजिक संगठन का संकेत देते हैं।
- यद्यपि भग्नावशेषों में, गलियों में दीवारें एवं ईंट के फुटपाथ अभी भी संरक्षित स्थिति में हैं।
खोज
- शहर के भग्नावशेष लगभग 3,700 वर्षों तक बिना प्रलेख के, 1920 तक, बने रहे जब पुरातत्वविद् आर. डी. बनर्जी ने इस स्थल का दौरा किया।
- इसका उत्खनन 1921 में प्रारंभ हुआ एवं 1964-65 तक चरणों में जारी रही।
- विभाजन के दौरान यह स्थल पाकिस्तान में चला गया।
सिंधु घाटी के अन्य स्थल
- सिंधु घाटी सभ्यता अब पाकिस्तान एवं भारत के उत्तरी राज्यों (गुजरात, हरियाणा तथा राजस्थान) में विस्तृत है, यहां तक कि ईरानी सीमा तक भी फैली हुई है।
- इसके प्रमुख शहरी केंद्रों में पाकिस्तान में हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो तथा भारत में लोथल, कालीबंगा, धोलावीरा एवं राखीगढ़ी शामिल थे।
- परिष्कृत सिविल इंजीनियरिंग तथा शहरी नियोजन के साथ मोहनजोदड़ो को अपने समय का सर्वाधिक उन्नत शहर माना जाता है।
- जब 19 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास सिंधु घाटी सभ्यता का अकस्मात रूप से पतन हुआ, तो मोहनजोदड़ो परित्यक्त कर दिया गया।
वर्तमान स्थिति
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐतिहासिक भग्नावशेषों की अनेक गलियां एवं मल निकास व्यवस्था के नाले बाढ़ से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।
- हालांकि बाढ़ के कारण जमा हुए तलछट को हटाने का काम अभी भी जारी है।
- किंतु यदि इस तरह की बाढ़ की पुनरावृत्ति होती है, तो यह विरासत स्थल एक बार पुनः जमीन के नीचे दब सकता है, पुरातत्वविदों का कहना है।
- यह अपेक्षित है कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस 11 सितंबर को अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान इस स्थल का दौरा करेंगे।
- यह यात्रा इस बारे में कुछ स्पष्टता प्रदान कर सकती है कि क्या इस स्थल ने अपनी कुछ विशेषताओं को खो दिया है जो इसके प्रतिष्ठित विश्व विरासत टैग को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।
विश्व विरासत स्थल का दर्जा खोना
- इसके 167 सदस्य देशों में लगभग 1,100 यूनेस्को सूचीबद्ध स्थल हैं।
- विगत वर्ष वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने ‘लिवरपूल – मैरीटाइम मर्केंटाइल सिटी’ (यूके) की संपत्ति को विश्व विरासत सूची से हटाने का निर्णय लिया था।
- यह संपत्ति के बकाया सार्वभौमिक मूल्य को व्यक्त करने वाली विशेषताओं के अपरिवर्तनीय नुकसान के कारण था।
- यह संपत्ति के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य को व्यक्त करने वाले अभिलक्षणों की अपरिवर्तनीय हानि के कारण था।
- लिवरपूल को 2004 में विश्व विरासत सूची में 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में विश्व के प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में से एक के रूप में अपनी भूमिका – तथा इसकी अग्रणी बंदरगाह तकनीक, परिवहन प्रणाली एवं बंदरगाह प्रबंधन की मान्यता में जोड़ा गया था।
- इसके पूर्व, अवैध शिकार एवं पर्यावास स्थल के क्षरण पर चिंताओं के पश्चात, 2007 में, यूनेस्को पैनल द्वारा हटाए जाने वाला प्रथम स्थान ओमान में अरेबियन ओरिक्स अभ्यारण्य था।
- 2009 में विश्व विरासत सूची से हटाया जाने वाला एक अन्य स्थल जर्मनी के ड्रेसडेन में, एल्ब नदी के पार वाल्डस्क्लोएशन रोड ब्रिज के निर्माण के पश्चात एल्ब घाटी थी।
Please do not enter any spam link in comment box.