ज्वालामुखी किसे कहते है,ज्वालामुखी कैसे फटता है,ज्वालामुखी के प्रकार;jwalamukhi kise kahate hai, jwalamukhi ke prakar
आज इस लेख में हम ज्वालामुखी के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे जहां ज्वालामुखी क्या होता है , ज्वालामुखी कैसे और कहाँ फटता है, ज्वालामुखी के प्रकार इत्यादि के बारे में जानकारी दी जाएगी. तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं ज्वालामुखी की पूरी जानकारी.
ज्वालामुखी किसे कहते है?-
ज्वालामुखी एक प्रकार का प्राकृतिक आपदा है जो भूमिगत गतिविधियों के फलस्वरूप उत्पन्न होती है। ज्वालामुखी एक ऐसा स्थान होता है जहां से गरम लावा, धुआं, गैस और तेज़ धमाकों के साथ-साथ आवाज निकलता है। ज्वालामुखी अक्सर पृथ्वी के क्रस्ट या मंडली के अंदर गुदावटी के साथ बने रहते हैं, जो भूमि की तरंगों को उच्च तापमान और दबाव के कारण टूटने के कारण उत्पन्न होती हैं। ज्वालामुखी के विस्फोटों के कारण जीवन की कई आवाजहीन प्राणियों के नुकसान का खतरा होता है और इन आपदाओं से बचाव के लिए लोग विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं।
ज्वालामुखी कैसे बनता है?-
ज्वालामुखी एक प्राकृतिक आपदा है जो अक्सर आँधी, भूकंप या उपद्रव से होता है। इसका कारण धरती के भीतर उपस्थित मग्मा होता है, जो उत्तेजित होता है और बाहर निकलने के लिए तैयार हो जाता है।
जब मग्मा धरती के निकट जमीन के ऊपर निकलता है, तो वह जल्द ही ठंडी होती हुई पत्थरीली परत को तोड़ता हुआ आग की तरह बाहर निकलता है। इस आग की चिंगारी के कारण ज्वालामुखी बन जाता है।
यह ज्वालामुखी उच्च दबाव के कारण अत्यधिक तापमान, धूम, गैस और तले की भूमि का उच्च होने के कारण बनता है। इससे ज्वालामुखी के बाहर निकलने वाले मग्मा का तापमान 700 से 1300 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है।
लावा और मैग्मा में अंतर-
लावा और मैग्मा दोनों ही धातु-पदार्थों के विभिन्न स्थितियों को दर्शाते हैं, जब वे धरती के भीतर से बाहर निकलते हैं। हालांकि, इन दोनों के बीच थोड़ा अंतर होता है।
मैग्मा एक उष्ण चट्टान के रूप में पाया जाता है जो धरती के भीतर से निकलता है। मैग्मा धातु-पदार्थों, उपचार्य अवशेषों और ग्लैसियर के तरल फ़ॉर्म में होता है। मैग्मा विभिन्न पदार्थों के समन्वय से बना होता है, जिसमें सिलिका, अल्यूमिनियम, फेरिक आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटेशियम शामिल होते हैं।
लावा मैग्मा का एक रूप होता है, जो धरती की सतह पर पहुँचता हुआ ठंडा हो जाता है। यह धातु-पदार्थों का एक मिश्रण होता है, जो मैग्मा से उत्पन्न होता है, जब वह धरती के बाहर निकलता है। लावा धातु-पदार्थों के अनुपात के आधार पर विभिन्न रूपों में पाया जाता है, जिसमें सिलिका, अल्यूमिनियम, फेरिक आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम होता है।
ज्वालामुखी कैसे फटता है?
ज्वालामुखी फटने के पीछे का कारण उसमें मौजूद लवा, गैस और अन्य धातु-पदार्थों के अधिक दबाव का होता है। ज्वालामुखी बनने के पीछे अक्सर धरती की मंडी या एक संचार का जोड़ होता है, जो मौजूद गर्म मैग्मा या लवा को अंतिम निकटता तक पहुंचाता है।
जब धरती के भीतर से निकलने वाली लवा, गैस और अन्य धातु-पदार्थ ज्वालामुखी में ऊपर की ओर बढ़ते हैं, तो उनमें दबाव बढ़ता है। इस दबाव के कारण, ज्वालामुखी के ऊपर की तरफ एक छेद हो जाता है, जिससे लवा, धुएं और गैस ज्वालामुखी से बाहर निकलते हैं। इस प्रक्रिया को विस्फोट या विस्फोटन कहा जाता है।
इसके अलावा, ज्वालामुखी के फटने का कारण अक्सर अंतरिक तंत्र की तबका के टकराव या अंतरिक धातु-पदार्थों की भाप उत्पन्न होना भी हो सकता है।जब ज्वालामुखी फटता है, तो उसमें मौजूद लवा, गैस और अन्य धातु-पदार्थों का दबाव उनकी विस्फोटन प्रक्रिया का मुख्य कारण होता है। जब ये धातु-पदार्थ ज्वालामुखी में ऊपर की ओर बढ़ते हैं, तो उनमें दबाव बढ़ता है। इस दबाव के कारण, ज्वालामुखी के ऊपर की तरफ एक छेद हो जाता है, जिससे लवा, धुएं और गैस ज्वालामुखी से बाहर निकलते हैं।
ज्वालामुखी फटने के अन्य कारण भी हो सकते हैं, जैसे धरती की तरफ से उच्च दबाव के कारण या तबकों में अधिक दबाव के कारण। इसके अलावा, कुछ ज्वालामुखी विस्फोटों के पीछे भूकंप और तबाही के कारण भी हो सकते हैं।
ज्वालामुखी फटते समय बहुत तेज और उच्च तापमान वाली लवा, धुएं, गैस और धूम से निकलता है। ये तत्व ज्वालामुखी से बाहर बहुत तेजी से निकलते हैं और इनमें गरम हवा और विभिन्न धातु-पदार्थों का मिश्रण होता है।
ज्वालामुखी क्यों फटता है?
ज्वालामुखी क्यों फटता है इसका कारण धरती के आंतरिक प्रक्रियाओं से जुड़ा हुआ होता है। धरती का मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रकृति अपनी ऊपरी परत को अपनी आंतरिक ऊष्मा के कारण गर्म रखती है।
इस ऊष्मा के कारण धरती की ऊपरी परत, जो धटियों और पत्थरों से बनी होती है, तनाव में आती है और तोड़ मार के साथ फट जाती है। इस फटने के समय जब धरती की ऊपरी परत फटती है, तो इसमें मौजूद लवा, गैस और अन्य धातु-पदार्थों का दबाव उनकी विस्फोटन प्रक्रिया का मुख्य कारण होता है।
इस विस्फोट के कारण ज्वालामुखी से बहुत तेज और उच्च तापमान वाली लवा, धुएं, गैस और धूम निकलती हैं। ये सभी तत्व ज्वालामुखी से बाहर बहुत तेजी से निकलते हैं और इनमें गरम हवा और विभिन्न धातु-पदार्थों का मिश्रण होता है।ज्वालामुखी का फटना भूकंप और तबाही का एक मुख्य कारण भी हो सकता है। इसके अलावा, अधिक दबाव या अधिक गर्मी वाले ऊष्माग्रद्ध भी ज्वालामुखी के फटने का कारण बन सकते हैं। इस प्रकार के ऊष्माग्रद्ध बादल बनाते हैं, जो ज्वालामुखी के ऊपर से निकलते हैं और उसे ढक देते हैं। यदि धरती की ऊपरी परत पर इतना दबाव पड़ता है कि यह धटियों और पत्थरों के रूप में नहीं टिकती है तो ज्वालामुखी फट सकता है।
ज्वालामुखी के फटने के कारण बहुत से प्रकार की आवाजें निकलती हैं, जिसमें से कुछ आवाजें बहुत ऊँची और आवाज़ के रूप में नहीं सुनाई देती हैं, लेकिन कुछ आवाजें बहुत उच्च और सुनाई देती हैं।
ज्वालामुखी कहां फटता है?
ज्वालामुखी विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में फटता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो धरती के भीतर से निकलने वाले ऊष्माग्रद्धों द्वारा उत्पन्न होती है।
ज्वालामुखी के फटने की स्थितियों के बारे में कुछ विशेष जानकारी निम्नलिखित हैं:
- ज्वालामुखी धरती के मध्यम गहराई में होते हैं।
- ज्वालामुखी प्रदूषण, ध्वनि, धूम्रपान, लहरें, भूकंप और अन्य तबाही उत्पन्न करता है।
- ज्वालामुखी समुद्र तल से ढेरों मील ऊपर और पर्वतों के कुछ हिस्सों में भी होता है।
- कुछ ज्वालामुखियों के फटने से पहले इंडिकेटर्स जैसे कि जलवायु बदलना, भूचाल, और भूमिकम्प आदि के संकेत मिलते हैं।
- विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में फैले ज्वालामुखी समूह होते हैं, जैसे कि प्रतद्वीपीय फेलग ज्वालामुखी समूह, रांगीतोटा फैलते ज्वालामुखी समूह आदि।
ज्वालामुखी का वर्गीकरण
ज्वालामुखी को मुख्यतः तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है:
- सक्रिय ज्वालामुखी
- प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी
- मृत या शांत ज्वालामुखी
सक्रिय ज्वालामुखी एक ऐसा ज्वालामुखी होता है जो वर्तमान समय में अपनी क्रियाओं को जारी रखता है। इसके विपरीत, निष्क्रिय ज्वालामुखी एक ऐसा ज्वालामुखी होता है जो वर्तमान समय में अपनी क्रियाओं को जारी नहीं रखता है। ये दोनों ही ज्वालामुखियां धरती के भीतर से उठते ऊष्माग्रद्धों के फलस्वरूप उत्पन्न होती हैं।
सक्रिय ज्वालामुखी बारंबार धूम, गैस, राख व लावा के फटने के साथ उत्पन्न होते हैं जो जब भी होते हैं तो यह ज्वालामुखी ज्यादा खतरनाक होते हैं। सक्रिय ज्वालामुखियों से निकलने वाला धूम आमतौर पर सूखे रसायनों, अम्ल व गैस से बना होता है, जिसमें सल्फर व अम्ल अधिकतम होते हैं। सक्रिय ज्वालामुखियों में दबाव बनता है, जो बाहर आती ऊष्माओं को बाधित करता है जो बाहर निकलते हैं। इससे ज्वालामुखी में अधिक दबाव बनता है जो उसके फटने के लिए कारण बनता है।
प्रसुप्त या सुप्त ज्वालामुखी-
प्रसुप्त ज्वालामुखी एक ऐसी ज्वालामुखी होती है जो वर्तमान समय में सक्रिय नहीं है और जो आने वाले कुछ समयों तक सुषुप्त अवस्था में होती है। इसका मतलब होता है कि इस ज्वालामुखी में बिना किसी ज्वालामुखी के उत्पन्न होने वाले ऊष्माग्रद्ध नहीं होते हैं। इस ज्वालामुखी के अंदर बने लावा, मैग्मा और अन्य ऊष्माग्रद्ध धीमे गति से ठंडे होते हैं।
सुप्त ज्वालामुखी एक ऐसी ज्वालामुखी होती है जो कुछ समयों या वर्षों तक सुषुप्त अवस्था में होती है और अपनी क्रियाएं बंद कर देती है। ऐसी ज्वालामुखियां धीमी गति से बढ़ती हैं और फिर एक दिन एकाएक फटती हैं। यह फटाने का कारण बारंबार बढ़ती गति से उत्पन्न होते ऊष्माग्रद्ध होते हैं जो ज्वालामुखी के बीच दबाव बनाते हैं और फिर ज्वालामुखी फट जाती है।
मृत या शांत ज्वालामुखी -
मृत या शांत ज्वालामुखी एक ऐसी ज्वालामुखी होती है जो कई सालों या सदियों से सक्रिय नहीं होती है। ऐसी ज्वालामुखियां उस जगह पर होती हैं जहाँ पहले ज्वालामुखी थी और फिर वहां से ज्वालामुखी क्रियाएं बंद हो गईं। ऐसी ज्वालामुखियों में अभी भी ऊष्माग्रद्ध उत्पन्न होते हैं लेकिन वे काफी ठंडे होते हैं जिससे ये सक्रिय नहीं होती हैं।
शांत ज्वालामुखियों में अक्सर बाहरी चरम ऊष्माग्रद्धों और धुआओं की अभाव होती है। ये ज्वालामुखियां आमतौर पर अप्रदुषित वातावरण में होती हैं जहां उनके आसपास कोई मानवीय गतिविधि नहीं होती है। इसलिए ऐसी ज्वालामुखियां भूमिगत अभिसंधान के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों होती हैं और वैज्ञानिकों को इस धरती की विभिन्न वैविधताओं को समझने में मदद करती हैं।
ज्वालामुखी के प्रकार
ज्वालामुखी को पांच भागों में बांटा गया है:
- सिंडर शंकु
- संयुक्त ज्वालामुखी
- शील्ड ज्वालामुखी
- लावा गुबंद ज्वालामुखी
- पंक ज्वालामुखी या गारामुखी
ज्वालामुखी से निकलने वाले पदार्थ
आमतौर पर एक ज्वालामुखी से तीन तरह के पदार्थ निकलते हैं:
- तरल पदार्थ
- गैस एवं जलवाष्प
- ठोस पदार्थ
भारत के ज्वालामुखी-
विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी
विश्व के कुछ प्रमुख ज्वालामुखी के नाम इस प्रकार हैं:
ज्वालामुखी | स्थिति | स्थान |
माउंट कोटोपैक्सी | सक्रिय | इक्वाडोर |
माउंट एटना | सक्रिय | इटली |
विसुवियस | सुषुप्त | इटली |
किलिमंजारो | शांत | तंजानिया |
मोनालोआ | सक्रिय | हवाई द्वीप |
फ्यूजीयामा | सक्रिय | जापान |
क्राकाताओ | शांत | इंडोनेशिया |
माउंट रेनियर | सक्रिय | संयुक्त राज्य अमेरिका |
माउंट किलाउआ | सक्रिय | संयुक्त राज्य अमेरिका |
पोप | शांत | म्यांमार |
माउंट कैमरून | सक्रिय | अफ्रीका |
मेयाना | सक्रिय | फिलीपींस |
एलबुर्ज | प्रसुप्त | जॉर्जिया |
माउंट एर्बुश | सक्रिय | अंटार्कटिका |
स्ट्रांबोली | सक्रिय | |
चिम्बोराजो | शांत | इक्वाडोर |
एल मिस्टी | प्रसुप्त | पेरू |
माउंट पीनटूबो | सक्रिय | फिलीपींस |
कटमई | सक्रिय | अलास्का |
बैरेन द्वीप का ज्वालामुखी | सक्रिय | अंडमान व निकोबार द्वीप समूह |
नारकोंडम द्वीप का ज्वालामुखी | सुषुप्त | अंडमान व निकोबार द्वीप समूह |
एकांकागुआ | शांत | दक्षिण अमेरिका |
माउंट दमावंद | शांत | ईरान |
कोह | शांत | ईरान |
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