महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण (Mahmud Ghaznavi Ka Bharat Per Aakraman)
तुर्क लोगों द्वारा पहला बड़ा हमला तब हुआ जब गजनी राज्य (अफगानिस्तान) के महमूद गजनवी नाम के तुर्क राजा ने भारत पर हमला किया, पर वह भारत में राज्य नहीं करना चाहता था। उसकी नजरे ईरान अफगानिस्तान व खुरासान के क्षेत्र में ही दूसरे के राजाओं को हराकर अपने राज्य गजनी को बढ़ाने में लगी थी।
जब महमूद गजनवी भारत में राज्य नहीं करना चाहता था तो फिर वह भारत क्यों आया ? इसलिए कि वह अपनी सेना बनाने के लिए धन जुटाने की कोशिश कर रहा था। इस कोशिश में उसने सन् 1000 से सन् 1025 तक 17 बार विभिन्न राजपूत राज्यों पर आक्रमण किया।
उसने कई राजाओं को हराकर उनके धन पर कब्जा किया। उन मंदिरों और बौद्ध मठों को तोड़ा व लूटा, जिनमें बहुत धन दौलत इकट्ठी हुई थी। इसमें 1025 ई० में सोमनाथ मन्दिर का आक्रमण सबसे प्रसिद्ध है।
सोमनाथ मन्दिर गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल में स्थित है। ये बारह ज्योतिर्लिंगो में से एक है। इस मन्दिर को कई बार आक्रमणकारियों ने नुकसान पहुँचाया। आधुनिक मन्दिर का निर्माण सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयास से हुआ। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के हाथों 11 मई 1951 को यहाँ ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई।
हम भली भांति जानते हैं कि जब जब भारत पर आक्रमण हुआ तब तब निश्चय ही भारत की राजनीतिक स्थिति कमजोर थी और विशेषकर उत्तर-पश्चिम भारत की।
ठीक ऐसा ही महमूद गजनवी के समय भी था।
जिस समय तुर्कों ने भारत पर आक्रमण किया उस समय सिन्ध और मुल्तान मुसलमान शासित राज्य थे।
चिनाब नदी से लेकर हिंदुकुश पर्वत तक का क्षेत्र हिन्दूशाही राज्य था जिसका तत्कालीन शासक जयपाल था।
कश्मीर में भी ब्राम्हण वंश का शासन था। उसकी मालिक रानी दिद्दा हुआ करती थीं।
उस समय कन्नौज में प्रतिहारों का शासन था। किन्तु उस समय तक प्रतिहार सत्ता कमजोर पड़ने के कारण बुंदेलखंड के चंदेलों , मालवा के परमारों और गुजरात के चालुक्यों ने खुद को प्रतिहारों से मुक्त घोषित कर दिया था।
बंगाल में उस समय पाल वंश का शासन था।
वहीं दक्षिण भारत में परवर्ती चालुक्य और चोलों के शक्तिशाली राज्य थे।
उपरोक्त परिस्थिति के बावजूद जिस समय महमूद गजनवी उत्तर भारत को रौंद रौंद कर लूट रहा था , उस समय भी भारत के छोटे-बड़े राज्य आपसी संघर्ष में व्यस्त थे। उनमें न तो शक्ति की कमी थी न शौर्य और साहस की परंतु उन्होंने दूरदर्शिता से काम नहीं लिया और महमूद के विरुद्ध आपसी सहयोग की भावना व राष्ट्रवादी भावना नहीं थी।
इस प्रकार इस अनुकूल परिस्थिति में महमूद ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 17 बार आक्रमण किया और अपार संपत्ति लूट कर अपने साथ ले गया।
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