भारत और भारतीय उपमहाद्वीप में पर्वत चोटियाँ
भारत के प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं निम्नलिखित हैं:
हिमालय: हिमालय भारत के उत्तरी भाग में स्थित है। यह विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है जो भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत और पाकिस्तान में फैली हुई है। हिमालय की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है जो नेपाल और तिब्बत में स्थित है।
अरावली पर्वत श्रृंखला: अरावली पर्वत श्रृंखला भारत के उत्तर पश्चिम और मध्य पूर्व भाग में स्थित है। यह भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला में से एक है और इसमें उच्चतम चोटी गुरुशिखर है जो राजस्थान में स्थित है।
विंध्याचल पर्वत श्रृंखला: विंध्याचल पर्वत श्रृंखला भारत के मध्य भाग में स्थित है। इसमें से उच्चतम चोटी अमरकंटक है जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थित है।
काराकोरम रेंज: काराकोरम रेंज एक पर्वत श्रृंखला है जो भारत, पाकिस्तान और चीन में फैली हुई है। इसे विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं में से एक माना जाता है। काराकोरम रेंज में शामिल चोटियों में नंगा पर्बत, गशेरब्रुम और गोशैथान चोटी शामिल हैं। इसे अक्साई चिन और कश्मीर उपनाम दिया जाता है। इस पर्वत श्रृंखला के द्वारा, भारत के उत्तरी भाग और चीन के तिब्बत प्रदेश को जोड़ने वाली काराकोरम हाइवे बनाई गई है।
पूर्वी घाट:पूर्वी घाट भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह अंडमान निकोबार द्वीप समूह से लेकर तमिलनाडु के कन्याकुमारी तक फैली हुई है। इस पर्वतमाला की सबसे ऊँची चोटी आनायिरंगल है, जो लगभग 2695 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
पूर्वी घाट के कुछ अन्य महत्वपूर्ण पर्वत शिखर हैं - डोनिगर मालाई शिखर, जावाडी शिखर, महेंद्र गिरि, चमुंडी पहाड़ी, तड़ीमल शिखर, अरकु शिखर, तिरुमलाइ शिखर, अनामलै शिखर, शेवरोय हिल्स, तिरुपति शिखर आदि।
पूर्वी घाट में अनेक प्राकृतिक संपदाएं हैं जैसे कि जंगल, नदियाँ, झीलें और झरने आदि। इसके अलावा, यह क्षेत्र भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दक्षिण भारत की मुख्य राजधानी चेन्नई के समीप स्थित है।
पश्चिमी घाट:पश्चिमी घाट भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह अरब सागर के किनारे स्थित है और केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों को जोड़ती है।
पश्चिमी घाट में कुछ महत्वपूर्ण शिखर हैं जैसे अनमुदि शिखर (केरल में स्थित, 2,695 मीटर), मुलायंगिरि (कर्नाटक में स्थित, 1,925 मीटर), दोडाबेट्ता (कर्नाटक में स्थित, 1,615 मीटर) और वेन्गुर्ला (तमिलनाडु में स्थित, 1,805 मीटर)।
पश्चिमी घाट के अंतर्गत कई नदियाँ हैं जैसे कवेरी, कृष्णा, गोदावरी और तुंगभद्रा। इसके अलावा, यह क्षेत्र विश्व की बायोडाइवर्सिटी के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसी स्थान है जहाँ अनेक विभिन्न प्रजातियों के जंगल, पौधे, प्राणियों और पक्षियों के संग्रहलय हैं।
सतपुड़ा:सतपुड़ा एक विस्तृत पर्वतीय क्षेत्र है, जो भारत के मध्य भाग में स्थित है। यह उत्तरी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में फैला हुआ है।
सतपुड़ा की ऊँचाई कम होती है और इसकी पर्वत श्रृंखलाएं कम भव्य होती हैं, इसलिए यह पर्वतमाला शिखरों के लिए प्रसिद्ध नहीं है। इसके बावजूद, सतपुड़ा एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूभाग है, क्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण नदियां उत्पन्न होती हैं जैसे नर्मदा, ताप्ती, वर्धा और गोदावरी। इसके अलावा, सतपुड़ा भारत की वनस्पति और वन्यजीवन के लिए भी महत्वपूर्ण है, इसमें विशाल शेष वन स्थल होते हैं।
पूर्वांचल रेंज:पूर्वांचल रेंज भारत के उत्तरी और पूर्वी भागों में स्थित एक विस्तृत पर्वतीय प्रदेश है। इसे हिमालय से पूर्व में स्थित माना जाता है। इस पर्वत श्रृंखला की लंबाई लगभग 1,700 किलोमीटर है और इसमें कुछ स्थानों पर चौड़ाई 200 किलोमीटर से भी अधिक होती है।
पूर्वांचल रेंज भारत के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है। यह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, नागालैंड, मिज़ोरम, त्रिपुरा और मणिपुर राज्यों में स्थित है।
पूर्वांचल रेंज एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूभाग है, क्योंकि इसमें विशाल संख्या में जीव जंतु व वनस्पति प्रजातियां मौजूद हैं जो विभिन्न जीव-जंतु और पौधों के संसार के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इसके अलावा, यह उत्तर भारत के मौसम और जलवायु के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
K2 को चढ़ना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसकी तीन ओर ढलानें होती हैं, जिससे यह बहुत खतरनाक बन जाता है। इस पर्वत के चढ़ाई के दौरान बर्फानी तूफान और आवालांच के खतरे होते हैं। इसे 1954 में पहली बार अमेरिकी एवेरेस्ट चढ़ने वाले सर्जेंट चटर और उसकी टीम ने चढ़ाया था। यह पर्वत आज भी दुनिया के सबसे खतरनाक पर्वतों में से एक है जो बहुत कम लोगों को चढ़ने की अनुमति देता है।
2.कंचनजंघा-
कंचनजंघा पर्वत भारत तथा नेपाल के बीच फैला हुआ हिमालयी पर्वतमाला का एक हिस्सा है। इसकी ऊंचाई लगभग 8,586 मीटर (28,169 फीट) है जो इसे दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा पर्वत बनाता है।
कंचनजंघा पर्वतमाला में कई छोटे-छोटे पर्वत शिखर होते हैं जो एक से दूसरे तक फैले होते हैं। यहाँ कई नदियां भी बहती हैं, जो इसे एक विशाल एवं सुंदर पर्वतमाला बनाती हैं।
कंचनजंघा पर्वत क्षेत्र दुनिया के सबसे जंगली क्षेत्रों में से एक है और इसमें भारत के विभिन्न राज्यों के कुछ बड़े वन्यजीव अभयारण्य हैं। इसकी खूबसूरत चोटियों, घाटियों, नदियों और जंगलों का अनुभव आपको दिलचस्पी पैदा कर सकता है।
3.नंदा देवी-
नंदा देवी पर्वत भारतीय राज्य उत्तराखण्ड में स्थित एक प्रमुख पर्वत है। यह हिमालय की गार्हिमा और शिखरों से भरी एक पर्वत श्रृंखला है जो गंगोत्री नेशनल पार्क में स्थित है। इसकी ऊंचाई लगभग 7,816 मीटर (25,643 फुट) है।
नंदा देवी पर्वत श्रृंखला में कुछ उच्च शिखर होते हैं जैसे नंदा देवी, सुनंदा देवी, बल्लरा माना, बेथरा गोपाल, तृषूल और कमेट। इसके शिखरों की चोटियों पर बर्फ चढ़ा होता है, जो इन्हें अधिक आकर्षक बनाता है।
नंदा देवी पर्वतमाला एक श्रृंखला के रूप में हमेशा से ही आध्यात्मिक महत्त्व रखती आई है। इसके शिखरों पर कुछ प्रसिद्ध हिंदू मंदिर भी होते हैं, जैसे कि नंदा देवी मंदिर, काली मंदिर, नन्दा भैरव मंदिर, बच्चाधाम मंदिर आदि।
4.कामेट पर्वत-
कामेट पर्वत हिमालय की पश्चिमी श्रृंखला में स्थित एक प्रमुख पर्वत है। इसकी ऊंचाई 7,756 मीटर (25,446 फुट) है और यह भारत और चीन की सीमा पर स्थित है। इसकी चोटी जल्दी जल्दी बदलती रहती है जो इसे एक खतरनाक शिखर बनाता है।
कामेट पर्वत के लिए जाना मुश्किल होता है क्योंकि यह बहुत अनुभवी और फिट होने वाले पर्वतारोहियों के लिए ही होता है। इसे पहली बार 1931 में एवरेस्ट पर्वत टीम के सदस्य फ्रांक स्मिथ और ह्यू रेडमेन द्वारा खोजा गया था।
कामेट पर्वत एक खतरनाक पर्वत है, जिसकी चोटी पर बहुत तेज हवाओं और धुंधले मौसम के कारण बर्फ कवर हो जाती है। इस पर्वत के चढ़ाई के दौरान उत्तरी ढलान पर स्थित अवरोही शिखर और चढ़ने वाले शिखरों पर बर्फ तूफानों के कारण गिर सकती हैं।
कामेट पर्वत के बारे में यह भी जाना जाता है कि यह दुनिया का सबसे खतरनाक पर्वत है जिसे अभी तक नहीं जीता जा सका है।
5.साल्तोरो कांगरी-
साल्तोरो कांगरी पर्वत, हिमालय के कुल्लू जिले में स्थित है। यह पर्वत भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है और इसकी ऊँचाई 20,182 फुट (6,126 मीटर) है।
साल्तोरो कांगरी पर्वत एक चट्टानों और बर्फ से ढकी चोटी वाला पर्वत है। इसकी चोटी पर चढ़ने के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है जो एकांत में और खतरनाक स्थितियों में अवरोहियों के लिए बनती है। इस पर्वत को चढ़ने के लिए आमतौर पर गुड़िया नाला मार्ग का उपयोग किया जाता है।
साल्तोरो कांगरी पर्वत को चढ़ने के लिए अभी तक बहुत कम लोगों ने अपनी पूरी कोशिश की है। यह एक बड़ा चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो केवल अनुभवी पर्वतारोहियों के लिए होता है। साल्तोरो कांगरी पर्वत एक खतरनाक पर्वत है जो जीतने के लिए बहुत सावधानी और अधिक तैयारी की आवश्यकता होती है।
6.सैसर कैंगरी-
सैसर कांगरी हिमालय की शिमला जिले में स्थित एक पर्वत शिखर है जो भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इसकी ऊँचाई 22,361 फुट (6,804 मीटर) है और यह हिमालय की सबसे ऊँची पर्वत शिखरों में से एक है।
सैसर कांगरी पर्वत का नाम उस क्षेत्र के निवासियों द्वारा दिया गया है। इस पर्वत को चढ़ने के लिए कठिनाईयों की तीन चरणों से गुजरना पड़ता है। सबसे पहले चरण में चढ़ते समय, यात्रियों को तल से लगभग 3,000 मीटर की ऊँचाई तक चढ़ना पड़ता है। दूसरे चरण में, यात्रियों को गहरी बर्फ के ढेरों और ढलानों से गुजरना पड़ता है। तीसरे चरण में, यात्रियों को विशाल चट्टानों और बर्फ से ढकी चोटियों पर चढ़ना पड़ता है।
7.मामोस्तोंग कांगड़ी/ममोस्तंग कांगरी-
ममोस्तंग कांगरी हिमालय की मध्य पहाड़ियों में स्थित एक पर्वत शिखर है जो नेपाल और तिब्बत की सीमा पर स्थित है। इसकी ऊँचाई 7,526 मीटर (24,682 फीट) है और यह हिमालय के सबसे ऊँचे 100 पर्वत शिखरों में से एक है।
ममोस्तंग कांगरी का नाम उस क्षेत्र के निवासियों द्वारा दिया गया है जहां यह पर्वत स्थित है। इस पर्वत को चढ़ने के लिए अधिकतम समय मार्च से मई तक जाया जा सकता है। पर्वत चढ़ाई के लिए एक विशेष अनुमति पत्र आवश्यक होता है जो नेपाल सरकार द्वारा जारी किया जाता है।
ममोस्तंग कांगरी को चढ़ने के लिए एक अनुभवी ट्रेकर होना आवश्यक होता है क्योंकि यह बहुत खतरनाक और चुनौतीपूर्ण होता है। यह एक लंबी चढ़ाई होती है जो तीन चरणों में विभाजित होती है, जिसमें अंतिम चरण में यात्रियों को बहुत ऊँचाई तक चढ़ना पड़ता है जहां वे बर्फ से ढकी चोटियों पर चढ़ते हैं।
8.रिमो -
रिमो पर्वत हिमालय की श्रृंखला में स्थित एक पर्वत शिखर है जो भारत और चीन की सीमा पर स्थित है। इसकी ऊँचाई 7,385 मीटर (24,229 फीट) है और यह हिमालय के सबसे ऊँचे 100 पर्वत शिखरों में से एक है। इस पर्वत को चढ़ने के लिए अधिकतम समय अक्टूबर से नवंबर तक जाया जा सकता है।
रिमो पर्वत एक बहुत ही कठिन चढ़ाई है जो अधिकतर उच्च ऊँचाइयों पर ग्लेशियर चढ़ाई, बर्फीले ढलान और धबधबे जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे चढ़ाई के लिए एक अनुभवी एवं फिट ट्रेकर होना आवश्यक होता है। रिमो पर्वत चढ़ने के लिए भारत सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। इस पर्वत की चढ़ाई में तकरीबन 30 से 35 दिनों का समय लगता है।
9.हरदोल पर्वत-
हरदोल पर्वत भारत के मध्य पूर्व में स्थित एक पर्वत शिखर है। यह मध्य प्रदेश राज्य के पचमढ़ी जिले में स्थित है और उस समूह का भाग है जिसे सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के नाम से जाना जाता है।
हरदोल पर्वत की ऊँचाई 1,364 मीटर (4,475 फीट) है। इस पर्वत शिखर का चढ़ाई का सफर एक अद्भुत प्राकृतिक अनुभव होता है। यह पर्वत शिखर एक आरामदायक ट्रेकिंग और हाइकिंग स्थल है। यह जंगलों, झरनों और नदियों के साथ घने वनों और प्रकृति से घिरे परिदृश्य का अनुभव प्रदान करता है। हरदोल पर्वत के चारों ओर कुछ बहुत ही खूबसूरत झीलें हैं जो आकर्षण का केंद्र बनती हैं।
10.चौखंबा-
चौखंबा पर्वत भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। इसकी ऊँचाई 7,138 मीटर (23,419 फीट) है और यह भारत का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है। इस पर्वत शिखर को भारत में जंगल के स्वर्ग के नाम से जाना जाता है।
चौखंबा पर्वत शिखर का चढ़ाई का सफर बहुत खतरनाक होता है, लेकिन यह भी बहुत ही रोमांचक और अद्भुत अनुभव होता है। यह पर्वत शिखर एक आध्यात्मिक महत्व रखता है और हिंदू धर्म में इसे त्रिशूल धारी शिवलिंग का रूप दिया जाता है। यह पर्वत शिखर एक संगम बिंदु है, जहां गंगा, मंदाकिनी और वहां से निकलने वाली अन्य नदियों के समुद्री जल एकत्रित होते हैं।
चौखंबा पर्वत शिखर एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य प्रदान करता है। यह पर्वत शिखर एक सुंदर घाटी से घिरा हुआ है, जिसमें गंगोत्री धाम शामिल है। इस पर्वत शिखर के चारों ओर कुछ बहुत ही खूबसूरत झीलें हैं जो आकर्षण का केंद्र बनती हैं।
11.त्रिशूल पर्वत-
त्रिशूल पर्वत हिमालय की एक प्रमुख पर्वत श्रृंखला है जो भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। इसकी ऊँचाई 7,120 मीटर (23,359 फुट) है और इसे तीन प्रमुख शिखरों से गठित किया गया है, जिन्हें त्रिशूल ईश्वर, त्रिशूल नंदाघुंटी और त्रिशूल त्रिशूल हिमाल भी कहा जाता है। यह पर्वत श्रृंखला नंदा देवी, कमेट और पंचचुला श्रृंखलाओं के साथ उत्तराखंड के प्रमुख पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। त्रिशूल पर्वत श्रृंखला बर्फ से ढंके हुए होते हुए दृश्य का एक आकर्षक स्थल है और यह पर्वतारोहण के लिए भी लोकप्रिय है।
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