Jaiv plastic aur jaiv nimnikaran plastick |
जैव प्लास्टिक और जैव निम्नीकरण प्लास्टिक
प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के विकल्प
पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए बहुत से
कारण जिम्मेदार हैं, जिनमें प्लास्टिक सर्वप्रमुख बनकर उभरा है तथा यह मानव एवं
जीव-जन्तुओ के लिए समान रूप से हानिकारक है| पूरे विश्व में प्लास्टिक का उपयोग इस
सीमा तक बढ़ चुका है कि वह हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया है|
वैश्विक रूप से प्लास्टिक के उत्पादन में लगातार
वृद्धि दर्ज की गई है तथा यह वर्ष 1950 के 2 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2015 में 380
मिलियन टन हो गई है| यह वृध्दि लोगों के ‘उपयोग में फेको’ प्रवृत्ति तथा ‘सिंगल
यूज़ प्लास्टिक’ के बढ़ते प्रयोग के कारण दर्ज की गई है| लगभग 50% प्लास्टिक
वैश्विक स्तर पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक है|
जिसमें प्लास्टिक बोतल, थैले, समानों की पैकिंग,
चम्मच, ग्लास इत्यादि के रूप में उपयोग किया जाता है| एक अनुमान के अनुसार पूरे
विश्व में लगभग प्रति मिनट 1 मिलियन प्लास्टिक की बोतल की खरीद की जाती है| इसके
साथ-साथ प्रत्येक वर्ष लगभग 5 ट्रिलियम डिस्पोजेबल प्लास्टिक थैलों का उत्पादन
किया जाता है|
प्रारम्भ में जब प्लास्टिक का अविष्कार हुआ था|
तब इसे एक वरदान माना गया था, परन्तु वर्तमान में इसके बढ़ते दुष्प्रभाव ने विश्व
के समक्ष नई चुनौतियों को उत्पन्न कर दिया है| तथा इसके समाधान के रूप में
बायोप्लास्टिक तथा जैवनिम्नीकरण
प्लास्टिक की ओर कदम बढ़ने लगे हैं|
प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग और उससे होने वाले
नुकसान का एक ताजा उदाहरण स्पेन एवं इंडोनेशिया के समुंद्री तटों पर मृत पाए गए स्पर्म
व्हेल से पता चलता है| इन स्पर्म व्हेलों के पेट से बड़ी मात्रा में प्लास्टिक के
तत्व पाए गए हैं| स्पेन के तट से पाए गए व्हेल के पेट से 64 पाउंड प्लास्टिक तथा
इंडोनेशिया के व्हेल से लगभग 30 किग्रा प्लास्टिक कचरा पाया गया, जो उनकी मौत का
प्रमुख कारण बना| अतः प्लास्टिक के बढ़ते उपयोग ने समुद्री जीवन को खतरे में डाल
दिया है|
प्लास्टिक के पर्यावरणीय पक्ष
प्लास्टिक एक अत्यन्त विषैला प्रदूषण है, जो
पर्यावरण को दुष्प्रभावित कर भूमि, जल और वायु प्रदूषण को बढ़ावा देता है|
पर्यावरण में मौजूद प्लास्टिक को समाप्त होने में हजारों वर्ष लग जाते हैं तथा यह
अपने उत्पादन से लेकर इस्तेमाल तक सभी अवस्थाओं में पर्यावरण और सम्पूर्ण पारिस्थितिकी
तन्त्र के लिए खतरनाक कारक है|
इसका निर्माण पेट्रोलियम पदार्थों से प्राप्त
तत्वों और रसायनों से होता है, इसलिए जीवाश्म ईंधन की कमी के साथ-ही-साथ यह जलवायु
परिवर्तन के लिए भी जिम्मेदार है, क्योंकि यह वैश्विक स्तर पर 400 मिलियन मीट्रिक
टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करता है|
बरसात के मौसम में सड़कों पर पड़ा प्लास्टिक
कचरा जलाशयों और नहरों से होता हुआ नदियों और समुद्रों में पहुंचता है, इसके अलावा
पर्यटन गतिविधियों, मत्स्ययन से भी प्लास्टिक नदियों एवं समुद्र तटों पर जमा होती
है और जलीय जीव-जन्तुओं के पेट में जाकर उनकी मृत्यु का कारण बनती है|
मानव बस्तियों में प्रयोग की जाने वाली अनिम्नीकरण
प्लास्टिक का भूमि में दब जाने से मृदा प्रदूषण होता है| इसके अलावा पालतू पशुओं
के पेट में जाकर उन्हें हानि पहुंचाते हैं|
प्लास्टिक के जलने से वायुमंडल में ज़हरीली
गैसों का समावेश होता है, जो वायुप्रदूषण को बढ़ावा देते हैं तथा जहरीले रसायन श्वसन
के माध्यम से मनुष्य एवं जन्युओ के स्वास्थ को दुष्प्रभावित करते हैं| एक अनुमान के
अनुसार वर्ष 2050 तक वैश्विक कार्बन
डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लगभग 15% के लिए प्लास्टिक ही जिम्मेदार है|
यह अपने उत्पादन की अवस्था से लेकर प्रयोग के
दौरान और कचरे के रूप में फेंके जाने तक कई तरह की रासायनिक क्रियाएं करके
आत्मघाती असर उत्पन्न करता है, जो मनुष्यों से लेकर जीव-जन्तुओ तक के लिए घातक
होता है|
क्या है जैव प्लास्टिक?
जैव प्लास्टिक (Bioplastic) या
जैविक प्लास्टिक, प्लास्टिक का वह रूप है, जिसका निर्माण पेट्रोलियम से प्राप्त होने
वाले जीवाश्म ईंधन प्लास्टिकों के स्थान पर शाकाहारी तेल, मक्का, स्टार्च, मटर
स्टार्च या माइक्रोबायोटा, गेहूं, गन्ना जैसे नवीकरणीय कच्चे माल के प्रयोग से
बनाया जाता है|
यह बायोडिग्रेडेबल और कम्पोस्टेबल प्लास्टिक
सामग्री है, जो जलवायु के अनुकूल है और पर्यावरण को प्रभावित नहीं करती है| इसे
मकई और गन्ना के पौधों से स्टार्च निकालकर तथा उसे पालिलैक्टिक एसिड में परिवर्तित
करके प्राप्त किया जाता है| इसे सूक्ष्मजीवों के पाली हाइड्रोक्सी एल्कोंनॉएट्रस (PHA) से भी बनाया जा सकता है|
जैव प्लास्टिक के प्रकार
वर्तमान जैव प्लास्टिक का निर्माण कई प्रकार से
किया जा रहा है, जिनके आधार पर इन्हें निम्न प्रकारों में विभाजित किया जा सकता
है
पालिलैक्टिक एसिड आधारित जैव
प्लास्टिक ऐसे बायोप्लास्टिक का निर्माण गन्ना,
मक्का या शर्करा से किया जाता है, जो जैवनिम्नीकरण, कार्बन उदासीन होता है तथा
इसका उपयोग मोबाइल कम्प्यूटर केसिंग, कप, बर्त्तन, बोतल आदि बनाने में किया जाता
है|
पाली हाइड्रोक्सी ब्यूटाइरेट आधारित जैव प्लास्टिक इसका
निर्माण माइक्रोआर्गेनिज्म तथा जेनेटिक इंजीनियरिंग के फलस्वरुप कार्बनिक पदार्थो
द्वारा होता है|
जैव पालिमर पाली 3 हाइड्रोक्सिब्यूटाइरेट (PHB) एक तरह का पॉलिएस्टर है, जो शर्करा या स्टार्च
प्रसंस्कृत करने वाले विशेष तरह के जीवाणु द्वारा उत्पादित होते हैं| इसका उपयोग
कार के छोटे-छोटे भाग आदि बनाने में किया जाता है|
सेलुलोज आधारित जैव
प्लास्टिक यह
मुख्य रूप से सेलूलोज एस्टर्स (सेलूलोज एसेटेट, नाइट्रोसेलुलरेज) और उनसे व्युत्पादित
होता है| इसका उपयोग रैपर इत्यादि बनाने में किया जाता है|
स्टार्च आधारित जैव
प्लास्टिक यह वर्तमान में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया
जाने वाला जैव प्लास्टिक है| इस शुद्ध स्टार्च में नमी सोखने की विशेषता होती है
यह और यही वजह है कि इसका इस्तेमाल औषधिय क्षेत्र में दवाओं कैप्सूल बनाने में
किया जाता है|
पालिएमाइड
11 आधारित जैव प्लास्टिक (PA-11) यह
एक जैव बहुलक है, जिसे प्राकृतिक तेल से प्राप्त किया जाता है तथा इसका व्यापारिक
नाम टीलसैन है| इसका उपयोग तेल और गैस के लिए प्रयुक्त पाइप और केबल्स बनाने में
किया जाता है|
जैव प्लास्टिक का उपयोग
परम्परागत प्लास्टिकों के स्थान पर जैव
प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण अनुकूल और मानव जीवन के साथ-साथ जीव-जन्तुओं के लिए
भी लाभदायक है| अतः वर्तमान में निम्न क्षेत्रों में जैव प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता
जा रहा है ये क्षेत्र निम्न है|
इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में
इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में बड़े पैमाने पर
प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है| अतः इस उद्योग को पर्यावरणीय अनुकूल बनाने में जैव
प्लास्टिक के उपयोग को बढ़ावा देना आवश्यक है|
इस उपयोग में सभी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों; जैसे-
सर्किट बोर्ड, डाटा स्टोरेज तथा अन्य सामान जो पहले पेट्रोलियम आधारित पदार्थों से
बनाए जाते थे, उन्हें अब बायोप्लास्टिक के उपयोग से बनाया जा सकता है, क्योंकि
इससे बने उत्पादों हल्के और टिकाऊ होने के साथ-साथ पर्यावरणीय रूप से अनुकूल होंगे|
खाद्य संबंधित उत्पादों में
बायोप्लास्टिक का उपयोग खाद्य एवं पेय पदार्थों
को रखने में किया जा रहा है| इस
क्षत्रे में सिंगल यूज प्लास्टिक के स्थान पर जैव प्लास्टिक का चलन बढ़ता जा रहा
है|
पालिलैक्तिक एसिड आधारित जैव प्लास्टिक का
उपयोग रैपर, कप, बर्त्तन, बोतल आदि बनाने में किया जाता है|
चिकित्सा क्षेत्र में
जैव प्लास्टिक का उपयोग चिकित्सा क्षेत्र में
डाक्टरों और अन्य चिकित्सकीय उपकरणों में किया जाने लगा है|
दवाओं, कैप्सूलों को बनाने की साथ-साथ हड्डियों
को जोड़ने तथा अन्य शल्य चिकित्सा के उपकरणों को बनाने में भी जैव प्लास्टिक का
प्रयोग किया जाता है|
बायोप्लास्टिक पैकेजिंग
पैकेजिंग उद्योग के लिए बायोप्लास्टिक एक
महत्वपूर्ण क्षेत्र बनकर उभरा है तथा इसने परम्परागत प्लास्टिक को पैकेजिंग उद्योग
से प्रतिस्थापित करना आरंभ कर दिया है बायोप्लास्टिक पैकेजिंग पारदर्शी, कम CO2 उत्सर्जन वाली होती है|
विश्व में बायोप्लास्टिक पैकेजिंग की मांग बढ़ती
जा रही है तथा वर्ष 2017-18 में इसका 3 मिलियन टन उत्पादन किया गया|
चुकी यह पूरी तरह से नवीकरणीय और निम्नीकरणीय
पदार्थों से बनी होती है| अतः परम्परागत प्लास्टिक के स्थान पर इसका उपयोग ज्यादा
महत्वपूर्ण है|
सौन्दर्य प्रसाधनों के क्षेत्र में
सौन्दर्य प्रसाधन उद्योगो में भी बायोप्लास्टिक
का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है| इस उद्योग में कई ऐसे उत्पाद होते हैं, जो
अल्पकालिक होते हैं तथा उनका उपयोग खत्म होने पर वे फेंक दिए जाते हैं, जो
प्लास्टिक प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं|
अतः बायोप्लास्टिक के उपयोग से इस क्षेत्र से
उत्पन्न होने वाले प्लास्टिक प्रदूषण को कम किया जा सकता है|
Please do not enter any spam link in comment box.