मिशन शक्ति
भारत की उपग्रह रोधी मिसाइल क्षमता---भारत के वैज्ञानिको ने 27 मार्च 2019 को अंतरिक्ष मे पृथ्वी की निचली कक्षा मे एक सैटेलाइट को मर गिराया l
इस सैटेलाइट को मरने के लिए A-SAT मिसाइल का प्रयोग किया गया था l मिशन शक्ति नामक या ऑपरेशन भारतीय वैगनिको द्वारा सभी उच्च तकिनीकी का उपयोग करते हुए मात्र 3 मिन्नटे मे पूरा किया गया l इस पुरे ऑपरेशन मे प्रयोग किया गया मिसाइल A-SAT भारत मे ही विकसित किया गया था l
भारत के वैज्ञानिको ने 27 मार्च 2019 को अंतरिक्ष मे पृथ्वी की निचली कक्षा मे एक सैटेलाइट को मर गिराया l
इस सैटेलाइट को मरने के लिए A-SAT मिसाइल का प्रयोग किया गया था l मिशन शक्ति नामक या ऑपरेशन भारतीय वैगनिको द्वारा सभी उच्च तकिनीकी का उपयोग करते हुए मात्र 3 मिन्नटे मे पूरा किया गया l इस पुरे ऑपरेशन मे प्रयोग किया गया मिसाइल A-SAT भारत मे ही विकसित किया गया था l यह मिसाइल भारत की सुरक्षा की दृस्टि से बहुत उपयोगी साबित होंगी l जिस सैटेलाइट पर यह परिक्षण किया गया औऱ उसे मार गिराया गया, वह सेवा से बाहर हो चूका था औऱ अपनी कक्षा मे 7 से 8 किम /सेकंड की रफ़्तार से परिक्रमा कर रहा था l इस को मरने के लिए A-SAT मिसाइल को ओड़िसा मे स्थित ए पी जे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ा गया l
ऐसे भेदा लक्ष्य ---
1. पृथ्वी की निचली कक्षा मे मौजूद गतिमान सैटेलाइट को लक्ष्य बनाया गया l
2. तीन स्टेज वाली ब्लैस्टिक मिसाइल डिफेन्स BMD इंटरसेप्टर मिसाइल को तैनात किया गया l
3. पृथ्वी पर मौजूद राडार ने सैटेलाइट की पहचान की l
4. सैटेलाइट की हर स्थिति पर राडार की नज़र रही l
5. लॉन्चर से मिसाइल लॉन्च हुई l
6. रास्ते मे मिसाइल के विभिन्न स्टेज स्वत: चालू होते गए l
7. मिसाइल को राडार दिशा देता रहा औऱ सैटेलाइट नस्ट हुआ l
क्या होता है लो अर्थ ऑर्बीत ---
लो अर्थ orbit पृथ्वी के सबसे पास वाली कक्षा होती है l
यह पृथ्वी से 200 किमी ऊपर होती है l पृथ्वी की इस कक्षा मे ज्यादातर टेलिकम्युनिकेशन सटेलाइट को रखा जाता है l
इस क्षमता वाला भारत बना चौथा देश ---
यह भारत का पहला परिक्षण था औऱ यह सकती हासिल करने वाला चौथा देश बन गयाः है l इससे पहले तक यह तकनिकी केवल अमेरिका, रुस, चीन के पास थी l मिशन सकती एक कठिन ऑपरेशन था, जिसमे उच्च कोटि की क्षमता की अवश्यकता थी l वैज्ञानिको ने सभी लक्ष्य हस्सील कर लिया l इसरो औऱ drdo के सयुक्त प्रयास द्वारा इस मिसाइल को विकसित किया गया l
एंटी सैटेलाइट मिसाइल का इतिहास --
एंटी सैटेलाइट मिशन की शुरुआत की बात की जाए तो अमेरिका का नाम पहले आता है l अमेरिका ने 1958 मे इसका परिक्षण किया था l
अमेरिका --
वर्ष 1950 मे अमेरिका ने WS-199A नाम से रणनीतिक रूप से अहम् मिसाइल परियोजनाओ की एक श्रृंखला को सुरु किया था l अमेरिका ने 26 मई 1958 के बीच बारह परिक्षण किये लेकिन ऐ सभी असफल रहे l 21 feb 2008 को अमेरिकी डिस्ट्रॉयर जहाज ने RIM-161 मिसाइल का प्रयोग कर अंतरिक्ष मे USA-153 नाम से एक जासूसी उपग्रह को मार गिराया l
रूस --
रुसी एंटी सैटेलाइट कार्यक्रम सुरु होने का कोई निश्चित तिथि का उल्लेख नहीं है फिर भी यह मना जाता है शीट युद्ध के दौरान अमीकी बढ़त को काम करने के लिए वर्ष 1956 मे सरगाई कोरोलेव ने ओकबी 1 नाम की मिसाइल पर काम करना सुरु किया था l
इसके बाद रूस के इस मिसाइल कार्यक्रम को ख्रुश्चेव ने आगे बढ़ाया l इस दौरान रूस ने UR-200 राकेट का निर्माण कार्य शुरू किया l रूस ने मार्च 1961 में इस्ट्रेबिटल स्पूतनिक के रूप में अपने फाइटर सेटेलाइट कार्यक्रम की शुरुआत की थी l रूस ने फरवरी 1970 में दुनिया का पहला सफल इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण किया l बाद में रूस ने इस कार्यक्रम को बंद कर दिया था, लेकिन अमेरिका द्वारा फिर से परीक्षण शुरू करने के बाद वर्ष 1976 में रूस ने अपनी बंद परियोजनाओं को फिर से शुरू कर दिया l
चीन---
चीन ने 11 जनवरी 2007 को अपने खराब पड़े मौसम उपग्रह को मारकर इस विशिष्ट क्लब में प्रवेश किया था l
क्या होता है एंटी सैटलाइट वेपन?
एंटी सैटलाइट वेपन किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रह निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है आज तक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है लेकिन कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरूरी मानते हैं l अभी तक दुनिया के 3 देशों अमेरिका, रूस और चीन के पास ऐसी क्षमता प्राप्त थी l भारत ने दुनिया के चौथे देश के रूप में इस क्लब में प्रवेश लिया है l
कैसे काम करता है एंटी सैटलाइट वेपन?
A-SAT मिसाइल एडवांस एयर डिफेंस और अग्नि मिसाइल का संयुक्त रुप है l यह एक तीन चरण में मिसाइल है, जो ठोस रॉकेट बूस्टर से से लैस हैl इस मिसाइल सिस्टम में बारूद का प्रयोग नहीं किया जाता हैl
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह एंटी मिसाइल सिस्टम से अलग है जो लक्ष्यों से टकराने के बाद ब्लास्ट होती हैl वहीं इसके एंटी सैटलाइट मिसाइल काइनेटिक कील मैकेनिक पर कार्य करता हैl इसके वारहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता हैl सेटेलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वह उसे गिरा देता हैl
मिशन शक्ति के महत्व--
मिशन शक्ति के महत्व पर प्रकाश डालने के पहले अंतरिक्ष की उपयोगिता को समझना होगाl
अंतरिक्ष का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है l
आज सभी देशों के पास पर्याप्त उपग्रह है, जो अंतरिक्ष में उपलब्ध है जो अलग अलग क्षेत्रो के विकाश में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं, जैसे --क़ृषि, रक्षा, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम, सांचार, शिक्षा, नेवीगेशन आदि l
भारत देश द्वारा छोड़ी गई उपग्रहो से कृषि कार्यों, सुरक्षा, मौसम, जहाजों की परिचालन v रेलवे में इसका उपयोग होता हैl
विश्व में अंतरिक्ष में सैटेलाइट का महत्व बढ़ता जा रहा हैl
इसकी सुरक्षा को पुख्ता करना महत्वपूर्ण हैl सुरक्षा मिशन के तहत मिशन शक्ति का आविर्भाव हुआl
एंटी सेटेलाइट मिशन भारत की सुरक्षा की दृष्टि से और मजबूत प्रदान करेगाl इससे भारत की सुरक्षा बढ़ाने में नई तकनीकी क्षमता का विकास हुआ हैl भारत की मिशन शक्ति देश की शांति,सुरक्षा की दृष्टि तथा सामरिक उद्देश्य देश में शांति के माहौल को बनाना और मजबूती प्रदान करना हैl इस सफलता के द्वारा हमारा देश और सुरक्षित समृद्धि और शांति के क्षेत्र में उठे एक कदम के रूप में देखना चाहिएl यह युद्ध की स्थिति में दुश्मन देशों के उपग्रह को तबाह कर उनके सुरक्षा संबंधी शक्तियों में सेंध लगाने में समर्थ है और युद्ध के दौरान उनके संचार, मौसम,रक्षा तंत्र व अन्य सुरक्षा संबंधी सैटेलाइट को नष्ट कर युद्ध की स्थिति में अपना पराक्रम व विजय दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैl
मिशन शक्ति से भारत को क्या फायदा होगा?
भारत अंतरिक्ष में अपनी सुरक्षा को लेकर सुनिश्चित रहेगाl अब कोई भी अनुपयोगी सेटेलाइट भारत की इच्छा के बिना भारत की अंतरिक्ष सीमा में प्रवेश नहीं ले सकेगी l ना ही कोई विदेशी सेटेलाइट हम पर नजर रख पाएंगेl A-SAT का प्रयोग भारत के लिए 1998 के परमाणु परीक्षण के समान ही एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैl दुश्मन की नजरों से बचने के लिए पोखरण में पूरे गांव का सेटअप तैयार कर फिर वहां परमाणु परीक्षण किया गया था l परंतु अब किसी भी सैटलाइट की मदद से जासूसी का डर नहीं रहेगा क्योंकि हम खुद ऐसे सेटेलाइट को नष्ट करने में सक्षम है l इस परिक्षण में जिस सैटेलाइट को नष्ट किया गया वह पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा कर रही थी और इसकी दूरी 300 किमी थीl परंतु प्राप्त जानकारी के अनुसार A-SAT मिसाइल 2000 की अभी तक की दूरी तक मार कर सकती है l इस शक्ति को हासिल करने वाले देशों ने अपनी रक्षा सुरक्षा को पुख्ता बनाने के रूप में देखते हैं l जैसे दुश्मन सेटेलाइट अगर भारत पर नजर रख रहा हो तो भारत उसे सेटेलाइट को नष्ट कर सकता है l भारत के अन्य सेटेलाइट की सुरक्षा भी इस मिशन शक्ति के द्वारा हो सकती है तथा इस मिशन शक्ति से भारत "स्पेस महाशक्ति" बन गया हैl
भारत के वैज्ञानिको ने 27 मार्च 2019 को अंतरिक्ष मे पृथ्वी की निचली कक्षा मे एक सैटेलाइट को मर गिराया l
इस सैटेलाइट को मरने के लिए A-SAT मिसाइल का प्रयोग किया गया था l मिशन शक्ति नामक या ऑपरेशन भारतीय वैगनिको द्वारा सभी उच्च तकिनीकी का उपयोग करते हुए मात्र 3 मिन्नटे मे पूरा किया गया l इस पुरे ऑपरेशन मे प्रयोग किया गया मिसाइल A-SAT भारत मे ही विकसित किया गया था l यह मिसाइल भारत की सुरक्षा की दृस्टि से बहुत उपयोगी साबित होंगी l जिस सैटेलाइट पर यह परिक्षण किया गया औऱ उसे मार गिराया गया, वह सेवा से बाहर हो चूका था औऱ अपनी कक्षा मे 7 से 8 किम /सेकंड की रफ़्तार से परिक्रमा कर रहा था l इस को मरने के लिए A-SAT मिसाइल को ओड़िसा मे स्थित ए पी जे अब्दुल कलाम द्वीप से छोड़ा गया l
ऐसे भेदा लक्ष्य ---
1. पृथ्वी की निचली कक्षा मे मौजूद गतिमान सैटेलाइट को लक्ष्य बनाया गया l
2. तीन स्टेज वाली ब्लैस्टिक मिसाइल डिफेन्स BMD इंटरसेप्टर मिसाइल को तैनात किया गया l
3. पृथ्वी पर मौजूद राडार ने सैटेलाइट की पहचान की l
4. सैटेलाइट की हर स्थिति पर राडार की नज़र रही l
5. लॉन्चर से मिसाइल लॉन्च हुई l
6. रास्ते मे मिसाइल के विभिन्न स्टेज स्वत: चालू होते गए l
7. मिसाइल को राडार दिशा देता रहा औऱ सैटेलाइट नस्ट हुआ l
क्या होता है लो अर्थ ऑर्बीत ---
लो अर्थ orbit पृथ्वी के सबसे पास वाली कक्षा होती है l
यह पृथ्वी से 200 किमी ऊपर होती है l पृथ्वी की इस कक्षा मे ज्यादातर टेलिकम्युनिकेशन सटेलाइट को रखा जाता है l
इस क्षमता वाला भारत बना चौथा देश ---
यह भारत का पहला परिक्षण था औऱ यह सकती हासिल करने वाला चौथा देश बन गयाः है l इससे पहले तक यह तकनिकी केवल अमेरिका, रुस, चीन के पास थी l मिशन सकती एक कठिन ऑपरेशन था, जिसमे उच्च कोटि की क्षमता की अवश्यकता थी l वैज्ञानिको ने सभी लक्ष्य हस्सील कर लिया l इसरो औऱ drdo के सयुक्त प्रयास द्वारा इस मिसाइल को विकसित किया गया l
एंटी सैटेलाइट मिसाइल का इतिहास --
एंटी सैटेलाइट मिशन की शुरुआत की बात की जाए तो अमेरिका का नाम पहले आता है l अमेरिका ने 1958 मे इसका परिक्षण किया था l
अमेरिका --
वर्ष 1950 मे अमेरिका ने WS-199A नाम से रणनीतिक रूप से अहम् मिसाइल परियोजनाओ की एक श्रृंखला को सुरु किया था l अमेरिका ने 26 मई 1958 के बीच बारह परिक्षण किये लेकिन ऐ सभी असफल रहे l 21 feb 2008 को अमेरिकी डिस्ट्रॉयर जहाज ने RIM-161 मिसाइल का प्रयोग कर अंतरिक्ष मे USA-153 नाम से एक जासूसी उपग्रह को मार गिराया l
रूस --
रुसी एंटी सैटेलाइट कार्यक्रम सुरु होने का कोई निश्चित तिथि का उल्लेख नहीं है फिर भी यह मना जाता है शीट युद्ध के दौरान अमीकी बढ़त को काम करने के लिए वर्ष 1956 मे सरगाई कोरोलेव ने ओकबी 1 नाम की मिसाइल पर काम करना सुरु किया था l
इसके बाद रूस के इस मिसाइल कार्यक्रम को ख्रुश्चेव ने आगे बढ़ाया l इस दौरान रूस ने UR-200 राकेट का निर्माण कार्य शुरू किया l रूस ने मार्च 1961 में इस्ट्रेबिटल स्पूतनिक के रूप में अपने फाइटर सेटेलाइट कार्यक्रम की शुरुआत की थी l रूस ने फरवरी 1970 में दुनिया का पहला सफल इंटरसेप्टर मिसाइल परीक्षण किया l बाद में रूस ने इस कार्यक्रम को बंद कर दिया था, लेकिन अमेरिका द्वारा फिर से परीक्षण शुरू करने के बाद वर्ष 1976 में रूस ने अपनी बंद परियोजनाओं को फिर से शुरू कर दिया l
चीन---
चीन ने 11 जनवरी 2007 को अपने खराब पड़े मौसम उपग्रह को मारकर इस विशिष्ट क्लब में प्रवेश किया था l
क्या होता है एंटी सैटलाइट वेपन?
एंटी सैटलाइट वेपन किसी भी देश के सामरिक सैन्य उद्देश्यों के लिए उपग्रह निष्क्रिय करने या नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है आज तक किसी भी युद्ध में इस तरह के हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है लेकिन कई देश अंतरिक्ष में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन और अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को निर्बाध गति से जारी रखने के लिए इस तरह की मिसाइल सिस्टम को जरूरी मानते हैं l अभी तक दुनिया के 3 देशों अमेरिका, रूस और चीन के पास ऐसी क्षमता प्राप्त थी l भारत ने दुनिया के चौथे देश के रूप में इस क्लब में प्रवेश लिया है l
कैसे काम करता है एंटी सैटलाइट वेपन?
A-SAT मिसाइल एडवांस एयर डिफेंस और अग्नि मिसाइल का संयुक्त रुप है l यह एक तीन चरण में मिसाइल है, जो ठोस रॉकेट बूस्टर से से लैस हैl इस मिसाइल सिस्टम में बारूद का प्रयोग नहीं किया जाता हैl
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि यह एंटी मिसाइल सिस्टम से अलग है जो लक्ष्यों से टकराने के बाद ब्लास्ट होती हैl वहीं इसके एंटी सैटलाइट मिसाइल काइनेटिक कील मैकेनिक पर कार्य करता हैl इसके वारहेड पर एक मेटल स्ट्रिप होता हैl सेटेलाइट के ऊपर मेटल का गोला गिर जाता है और वह उसे गिरा देता हैl
मिशन शक्ति के महत्व--
मिशन शक्ति के महत्व पर प्रकाश डालने के पहले अंतरिक्ष की उपयोगिता को समझना होगाl
अंतरिक्ष का हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है l
आज सभी देशों के पास पर्याप्त उपग्रह है, जो अंतरिक्ष में उपलब्ध है जो अलग अलग क्षेत्रो के विकाश में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं, जैसे --क़ृषि, रक्षा, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम, सांचार, शिक्षा, नेवीगेशन आदि l
भारत देश द्वारा छोड़ी गई उपग्रहो से कृषि कार्यों, सुरक्षा, मौसम, जहाजों की परिचालन v रेलवे में इसका उपयोग होता हैl
विश्व में अंतरिक्ष में सैटेलाइट का महत्व बढ़ता जा रहा हैl
इसकी सुरक्षा को पुख्ता करना महत्वपूर्ण हैl सुरक्षा मिशन के तहत मिशन शक्ति का आविर्भाव हुआl
एंटी सेटेलाइट मिशन भारत की सुरक्षा की दृष्टि से और मजबूत प्रदान करेगाl इससे भारत की सुरक्षा बढ़ाने में नई तकनीकी क्षमता का विकास हुआ हैl भारत की मिशन शक्ति देश की शांति,सुरक्षा की दृष्टि तथा सामरिक उद्देश्य देश में शांति के माहौल को बनाना और मजबूती प्रदान करना हैl इस सफलता के द्वारा हमारा देश और सुरक्षित समृद्धि और शांति के क्षेत्र में उठे एक कदम के रूप में देखना चाहिएl यह युद्ध की स्थिति में दुश्मन देशों के उपग्रह को तबाह कर उनके सुरक्षा संबंधी शक्तियों में सेंध लगाने में समर्थ है और युद्ध के दौरान उनके संचार, मौसम,रक्षा तंत्र व अन्य सुरक्षा संबंधी सैटेलाइट को नष्ट कर युद्ध की स्थिति में अपना पराक्रम व विजय दृष्टि से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता हैl
मिशन शक्ति से भारत को क्या फायदा होगा?
भारत अंतरिक्ष में अपनी सुरक्षा को लेकर सुनिश्चित रहेगाl अब कोई भी अनुपयोगी सेटेलाइट भारत की इच्छा के बिना भारत की अंतरिक्ष सीमा में प्रवेश नहीं ले सकेगी l ना ही कोई विदेशी सेटेलाइट हम पर नजर रख पाएंगेl A-SAT का प्रयोग भारत के लिए 1998 के परमाणु परीक्षण के समान ही एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैl दुश्मन की नजरों से बचने के लिए पोखरण में पूरे गांव का सेटअप तैयार कर फिर वहां परमाणु परीक्षण किया गया था l परंतु अब किसी भी सैटलाइट की मदद से जासूसी का डर नहीं रहेगा क्योंकि हम खुद ऐसे सेटेलाइट को नष्ट करने में सक्षम है l इस परिक्षण में जिस सैटेलाइट को नष्ट किया गया वह पृथ्वी की निचली कक्षा में परिक्रमा कर रही थी और इसकी दूरी 300 किमी थीl परंतु प्राप्त जानकारी के अनुसार A-SAT मिसाइल 2000 की अभी तक की दूरी तक मार कर सकती है l इस शक्ति को हासिल करने वाले देशों ने अपनी रक्षा सुरक्षा को पुख्ता बनाने के रूप में देखते हैं l जैसे दुश्मन सेटेलाइट अगर भारत पर नजर रख रहा हो तो भारत उसे सेटेलाइट को नष्ट कर सकता है l भारत के अन्य सेटेलाइट की सुरक्षा भी इस मिशन शक्ति के द्वारा हो सकती है तथा इस मिशन शक्ति से भारत "स्पेस महाशक्ति" बन गया हैl
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