Bharat me gramin pravashan part 2 |भारत में ग्रामीण प्रवासन के प्रभाव PART 2
सरकार द्वारा उठाए गए मुख्य कदम
भारती ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों की
कमी तथा प्राथमिक क्षेत्र में बढ़ती समस्याओं ने ग्रामीणों से शहरों की ओर लोगों
के पलायन को बढ़ावा दिया है| ग्रामीण तथा कृषि ऋणग्रस्तता के कारण सैकड़ों किसानों
की आत्महत्या आम होती जा रही है| इसलिए सरकार द्वारा इन समस्याओं के समाधान के लिए
कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को कम
पर लोगों को अपने-अपने क्षेत्रों में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएं| सरकार
द्वारा प्रमुख सरकारी प्रयास निम्न है
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना
प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना को 2009-10 में
भारत सरकार ने प्रारंभ किया था| प्रारंभ में यह योजना 5 राज्यों अर्थात असम, बिहार,
हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, एवं तमिलनाडु के
1000 गांवों में प्रायोगीक आधार पर आरंभ की गई थी| इस योजना को बाद में 22 जनवरी
2015 को संबोधित करते हुए असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक,
पंजाब, उत्तराखंड, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हरियाणा
के 1500 अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों में विस्तारित की गई थी|
योजना के उद्देश्य
1.
गरीबी का यथासंभव उन्मूलन, किंतु 3 वर्ष के भीतर कम-से-कम 50% तक इसके प्रसार में
कमी|
2.
सार्वभौमिक प्रौढ़ साक्षरता|
3.
100 नामांकन और प्रारंभिक चरणों में बच्चों का बना रहना|
4.
2012 तक शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म) में 30% तक तथा मातृ मृत्यु दर प्रति लाख) में 100% तक
कमी|
5.
सभी पात्र परिवारों के लिए आई ए वाई आवासों का 100% आवण्टन|
6.
गाव ग्रामीण विकास मंत्रालय के पेयजल आपूर्ति विभाग के निर्मल ग्राम पुरस्कार
मानकों को पूरा करें|
7.
सत्ता आधार पर सभी ग्रामवासियों के लिए सुरक्षित पेयजल सुविधा तक पहुंच|
8.
गर्भवती महिलाओं के लिए 100% संस्थागत
प्रसव|
9.
बच्चों का पूर्ण टीकाकरण|
10.
गांव को पक्की सड़क के साथ जोड़ना|
11.
गांव में मृत्यु और जन्म का 100% पंजीकरण|
12.
कोई बाल विवाह और बाल श्रम नहीं|
13.
शराब तथा अन्य नशीले पदार्थों के सार्वजनिक उपभोग पर प्रतिबंध|
ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी
सुविधाएं प्रदान करना योजना
PURA एक केंद्रीय योजना है, जिसे ग्रामीण
विकास मंत्रालय ने ग्यारहवी योजना की शेष अवधि के लिए आर्थिक मामले विभाग के सहयोग
और एशियाई विकास बैंक की तकनीकी सहायता से शुरू किया| ग्राम पंचायत, मंत्रालय और
निजी क्षेत्र के बीच सार्वजनिक निजी साझेदारी (पी पी पी) के माध्यम से पूरा योजना
को लागू कर रहा है और इसमें राज्य सरकारे सक्रिय सहयोग प्रदान कर रही है|
इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य जीविका के अवसर
को सृजीत करना और ग्रामीण एवं शहरी अंतर को दूर करने के लिए शहरी सुविधाएं विकसित
करना है|
किसी भी छोटे क्षेत्र का समग्र विकास ग्राम
पंचायत के इर्द-गिर्द घूमता है और इसके तहत पी पी पी के माध्यम से जीविका के अवसर
सृजित करने और ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार के लिए शहरी सुविधाएं उपलब्ध
कराने पर बल दिया जाता है|
यह ग्रामीण अवसंरचना विकास योजनाओ के
कार्यान्यवन और परिसम्पत्तियों के रखरखाव एवं सेवाओं की आपूर्ति में निजी क्षेत्र
की कार्यकुशलता का दोहन करने के लिए बिल्कुल अलग प्रारूप है| पी पी पी के माध्यम
से समेकित ग्रामीण अवसंरचना विकास का यह दुनिया में संभवतः पहला प्रयास है|
ग्रामीण विकास मंत्रालय की योजनाओं के तहत जल और
सीवरेज निर्माण, गांव की गलियों का रखरखाव, निकासी, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कौशल
विकास और आर्थिक गतिविधियों जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी|
इसी प्रकार गैर ग्रामीण विकास मंत्रालय योजनाओं
के तहत ग्राम स्ट्रीट लाइट, दूरसंचार, बिजली आदि सुविधाएं प्रदान की जाएगी|
ध्यातव्य है कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल
कलाम ने स्थानीय लोगों, जनप्रशासन एवं निजी क्षेत्रों के आपसी सहयोग के जरिए
ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा आपूर्ति के आत्मनिर्भर और व्यावहारिक मॉडल के रूप में
पूरा योजना की संकल्पना व्यक्त की थी|
स्मार्ट गांव की आवश्यकता
भारत
मे ग्रामीण प्रवास रोकने हेतु गांवों का विकास किया जाना आवश्यक है तथा ग्रामीण
क्षेत्रों में रोजगार अवसरों में वृद्धि कर तथा आधारभूत सुविधाओं का विकास कर
युवाओं के लिए नए-नए अवसर पैदा करने की आवश्यकता है|
इसके अलावा गांवों में एक ऐसी परिस्थिति के
विकास की आवश्यकता है, जो लोगों को पलायन करने से रोक सके| इसके लिए स्मार्ट शहर जैसी संकल्पना
का विकास गांवों में कर ‘स्मार्ट गांव’ विकसित किए जाने चाहिए|
ऐसे गांवो में सामाजिक सुरक्षा योजना, आधुनिक शहरी सुविधाएं, स्मार्ट कृषि के तरीके, अच्छी सड़क यातायात की सुविधा मौजूद
हो|
इन सबके अलावा डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया जैसे कार्यक्रमों एवं
तकनीकी का उपयोग कर गांवों के समग्र विकास की नीति पर कार्य करना आवश्यक है|
‘स्मार्ट गांवो’ के विकास के बिना
स्मार्ट शहरों की संकल्पना पर्याप्त नहीं है| गांवों से प्रवास को कम करने में
स्मार्ट विलेज की संकल्पना महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करने में सक्षम है|
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
शत-प्रतिशत केंद्र द्वारा प्रायोजित
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) 25
दिसंबर, 2000 को शुरू की गई| इस योजना का मुख्य
उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में 500 या
इससे अधिक आबादी वाले (पहाड़ी और रेगिस्तान क्षेत्रों में 250 लोगों की आबादी वाले
गांव) सड़क संपर्क से वंचित गांवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना है| वर्ष 2016-17 के
बजट में रु 19000 करोड़ की राशि का आवंटन सड़क योजना के
लिए किया गया था| इस योजना का सबसे ज्यादा लाभ गांवो को हुआ, जहाँ छोटे किसान शहरों से सीधे जुड़े और अपनी फसलों को बेचना अन्य
ब्यापार कर सकते हैं| जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के कुछ अवसर भी सृजित होंगे|
दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना
भारत सरकार ने 25 दिसंबर, 2014 को ग्रामीण तथा शहरी गरीबों के जीवन
स्तर में सुधार करने के उद्देश्य से दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना आरंभ की है|
इस योजना के अंतर्गत कौशल विकास और अन्य उपायो के माध्यम से आजीविका के अवसरों से
वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबों की संख्या मे कमी लाई जानी है|
योजना के दो घटको में से एक शहरी घटक का कार्यान्वयन
केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय करेगा, वही दूसरे ग्रामीण घटक
(दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना) का कार्यान्वयन केंद्रीय ग्रामीण विकास
मंत्रालय करेगा|
शहरी घटक के अंतर्गत शामिल कार्यक्रम निम्नलिखित है
1. प्रत्येक शहरी गरीब को कुशल बनाने हेतु
रु 15000-18000 तक
खर्च किए जाएंगे|
2. माइक्रो एंटरप्राइजेज और ग्रुप
इंटरप्राइजेज की स्थापना के जरिए स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा| इसमें व्यक्तिगत
परियोजनाओं के लिए 7% की दर से रु 2 लाख की ब्याज सब्सिडी
तथा समूह उधमो रु 10 लाख की ब्याज सब्सिडी प्रदान की जाएगी|
3.
सिटी लिवलीहुड सेंटर्स के जरिए शहरी नागरिको द्वारा शहरी गरीबों को बाजारोंमुख
कौशल में प्रशिछित करने की बड़ी माँग को पूरा किया जाएगा |
4.
शहरी बेघरों के लिए स्थायी आवासों का निर्माण और अन्य जरुरी सेवाओं का प्रावधान
तथा विक्रेता बाजार का विकास किया जाएगा|
ग्रामीण घटक के अंतर्गत शामिल कार्यक्रम निम्नलिखित है |
1. योजना का उददेश्य आगामी तीन वर्षो अर्थात
वर्ष 2017 तक 10 लाख ग्रामीण युवाओ को प्रशिछित करना है| साथ ही योजना के अंतर्गत
शामिल जोने के लिए न्यूनतम आयु 15 वर्ष है|
2. आजीविका कौशल कार्यक्रम में शामिल होने के
लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष थी|
3. ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगार की समस्या
का समाधान करने के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जानी है|
4. योजना के अंतर्गत प्रदान किए जाने वाले कौशल
अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के स्तर पर तथा प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान के
पूरक सिद्ध होंगे|
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम
(Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act. MGNREGA)
की
शुरुआत 2 फरवरी,
2006 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से की गई| प्रथम चरण में (वर्ष 2006-07) देश
के 27 राज्यों के 200 जिलों में इसकी शुरुआत की गई| 1 अप्रैल, 2008 से पूर्व देश
में इस योजना को लागू कर दिया गया है| साथ ही काम के बदले अनाज योजना और संपूर्ण
ग्रामीण रोजगार योजना का विलय इसमें कर दिया गया है|
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम
की विशेषताएं निम्न है
1. 2 अक्टूबर 2009 में इस योजना का नाम नरेगा
के स्थान पर मनरेगा कर दिया गया| इसके तहत काम के इच्छुक व्यक्ति (जिनमें कम-से-कम
एक-तिहाई स्त्रियां होंगी) को 100 दिन के रोजगार (1 वर्ष में) की गारंटी दी गई|
2. फरवरी, 2014 में संशोधित किए गए 150 दिन
केवल जनजातियों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं|
3. 5 सदस्यीय परिवार के एक सदस्य को 15 दिनों
के अंदर अपने घर में 5 किमी के दायरे में काम दिया जाएगा|
4. 1 जनवरी, 2011 से इसी योजना के अंतर्गत दी
जाने वाली मजदूरी को खेतिहर मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकाक से संबंध कर
दिया गया|
5. प्रणब सेन समिति को मनरेगा के लिए अलग
उपभोक्ता सूचकांक तैयार करने के लिए नियुक्त किया गया|
6. इस योजना के अंतर्गत संबंधित मजदूरों को एक
जॉब कार्ड जारी की जाता है| मजदूरी का भुगतान बैंक एवं डाकघर से करने की व्यवस्था
है|
संपूर्ण ग्रामीण
रोजगार योजना
रोजगार
आश्वासन योजना और जवाहर ग्राम समृद्धि योजना को मिलाकर 25 दिसंबर, 2001 को संपूर्ण
ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY) प्रारंभ की गई| इस योजना में ही जवाहर रोजगार योजना को शामिल कर लिया
गया| संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य
सुरक्षा के साथ-साथ दिहाड़ी (मजदूरी) रोजगार का अवसर बढ़ाना था|
इस
कार्यक्रम का मुख्य लक्ष्य समाज के कमजोर वर्गों पर ध्यान देना है| इस योजना में
खर्च की जाने वाली धनराशि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 75:25 के अनुपात में वहन
की जाने का प्रावधान था| इस योजना को
एम जी एन आर ई जी ए के अंतर्गत 1 अप्रैल, 2008 को शामिल कर लिया गया|
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (पी एम जी वाई)
प्रधानमंत्री
ग्रामोदय योजना की शुरुआत वर्ष 2000-2001 में देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित
प्रदेशों के लिए की गई थी| इसका प्राथमिक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सतत मानव
विकास को बढ़ावा प्रदान करना था|
इस
योजना के तहत पांच मुख्य क्षेत्रों प्राथमिक शिक्षा, प्राथमिक स्वास्थ्य, ग्रामीण
आश्रय, ग्रामीण पेयजल और पोषण को बढ़ावा देना था|
इस
कार्यक्रम के तहत तीन मुख्य कार्यक्रमों का कार्यान्वयन किया जा रहा है
1. मिड डे मील योजना
2. समेकित बाल विकास योजना
3. किशोरी शक्ति योजना
ग्रामीण प्रवास रोकने हेतु समग्र विकास की नीति
भारत
में शहरी क्षेत्रों पर जनसंख्या का बढ़ता दबाव तथा महानगरों में बढ़ता जनघनत्व इस
बात की ओर संकेत करता है कि ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से नगरों की ओर पलायन
तेजी से हो रहा है| अतः नीति निर्माताओं को 21वी शताब्दी के इन नई चुनौतियों से
निपटने के लिए एक समग्र नीति के निर्माण कि आवश्कता है|
इसके
लिए नीति निर्माताओं को ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में पर्याप्त शिक्षा,
स्वास्थ्य, रोजगार, बिजली तथा अन्य आधारभूत सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर देना होगा|
स्कूलों, कालेजों में व्यवसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को शामिल कर स्किल इंडिया,
डिजिटल इंडिया जैसे स्कीमों का क्रियान्वयन करना आवश्यक है|
भारत की
सरकार की सभी राज्य सरकारों की ग्रामीण विकास, मानव विकास, सामाजिक क्षेत्रों के
विकास तथा अन्य सुविधाओं जैसे- आवास, पेयजल, चिकित्सा सुविधा तथा शिक्षा को बढ़ाने
पर ध्यान देना आवश्यक है|
“ रिवर्स प्रवास
(नगर से गांव में प्रवास)
भारत
में रिवर्स प्रवास या नगरों से गांव की ओर होने वाले प्रवास में पिछले दशक से
वृद्धि देखी गई है| हालांकि विकासशील देशों में नगरों से अर्द्धनगरीय अथवा ग्रामीण
क्षेत्रों में ऐसे प्रवास का प्रचलन कुछ कम है| वस्तुत: रिवर्स प्रवास उच्च नगरीय
विकास वाले देशों में ज्यादा है| क्योंकि यह नगरीय क्षेत्रों की भीड़ व पर्यावरण
प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए एक तरीके के रूप में साधन संपन्न धनी वर्ग के
द्वारा अपनाया जाता है|
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के राष्ट्रों
से ग्रामीण प्रवास के कारण नगरों के केंद्रीय भागों में जनसंख्या घट रही है| शहरों
का बढ़ता प्रदूषण व विकसित यातायात इसे बढ़ावा दे रहे है|
भारत में भी बहुत से शहरी नौकरी से अवकाश पाने
के बाद अपने पैतृक गांव में जा बसते हैं|
रिवर्स प्रवास के कुछ लाभ निम्न है
1. ग्रामीण अर्थव्यवस्था (आर्थिक विकास) को
बढ़ावा|
2. इस प्रक्रिया से ग्रामीण क्षेत्रों में
तकनीकी और दक्षता का आगमन होता है|
3. सतत कृषि, पारंपरिक कला, आर्ट एंड क्राफ्टस
को बढ़ावा मिलता है|
4. शहरों से गांवों में आकर बसने वाले लोग गावों
के अन्य लोगों के लिए उदाहरण पेश कर उन्हें प्रवास से रोकते हैं|”
निष्कर्ष
यह सर्वमान्य
है कि प्रवास प्रक्रिया स्वरूप का प्रवासी गंतव्य क्षेत्र, प्रवास जनन क्षेत्र तथा
प्रवासी व्यक्ति तीनों पर गहरा प्रभाव पड़ता है| जहां प्रवासी पहुंचता है और जहां
से चलता है दोनों के जनसांख्यिकीय संरचना में मंत्रात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन
होता है| चुकीं जनसंख्या द्वारा निवास परिवर्तन मात्र संसाधन का पुनर्निधारण, है
जिससे मानव एवं भौतिक संसाधनों का संतुलन सुधार होता है|
प्रवास
प्रक्रिया स्वरूप सभी जनसांख्यिकीय लक्षणों; जैसे- घनत्व, वृद्धि, उत्पादकता, आयू,
लीग, शिक्षा आदि में परिवर्तन होता है|
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