प्राचीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक praacheen bhaarat ke pramukh vansh evan shaasak-
हेलो दोस्तों मेरा नाम मनीष गुप्त ( M.sc. maths, B.ed. with uptet and ctet qualified)है, आज की इस पोस्ट मे प्राचीन इतिहास से सम्बंधित ज्ञान को ग्रहण करेंगे, जिसे हम "सुपर फास्ट रिवीज़न" का नाम देते है यदि आप आने वाले exam की तैयारी करते है औऱ आपके पास समय बहुत ही कम है तो ऐ पोस्ट आपके लिए ही है, इस विषय से सम्बंधित सभी पोस्ट हमारे ब्लॉग पर नीचे लिंक के माध्यम से पढ़ सकते है l "सुपर फ़ास्ट रिवीज़न" की इस सीरीज़ मे आप SSC, UPPSC, UPSSSC, LEKHPAL, RAILWAYS, ARMY, BANKING, IBPS, LIC AAO, NTPC, DSSSB, STET, UGC NET, NDA, SSB, NAVY, AIRFORCE, CDS, RRB, UPP, UP SI, BANK PO, GROUP-D, UPTET औऱ SSC GD जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्राचीन इतिहास से सम्बंधित ब्लॉग है I उम्मीद है आपको हमारी ऐ पोस्ट जरूर पसंद आएगी l
हर्यक वंश 544 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व-
1.बिंबिसार (544-492ई पू.) हर्यक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था |
2.बिंबिसार के पुत्र अजातशत्रु (492 से 460 ईसा पूर्व) ने उसकी हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया |
3.अजातशत्रु बौद्ध धर्म का अनुयाई था एवं उसकी राजधानी राजगीर में प्रथम बौद्ध संगति हुई |
4.पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) की स्थापना का श्रेय उदयीन को जाता है |
नंद वंश 344 ईसा पूर्व से 322 ईसा पूर्व-
1.किस वंश का संस्थापक महापदमनंद को माना जाता है |
2. नंद वंश का अंतिम शासक घनानंद था |
3.इसी के शासनकाल में सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया |
सिकंदर का आक्रमण-
सिकंदर मकदुनिया के शासक फिलिप का पुत्र था उसने 326 ईसा पूर्व में भारत पर आक्रमण किया
पंजाब के राजा पोरस ने सिकंदर के साथ झेलम नदी के किनारे हाइडस्पीच का युद्ध जिसे विस्ताता का युद्ध कहा जाता है, लड़ा परंतु हर गया
बाद में सिकंदर भारत भूमि छोड़कर बेबीलॉन चला गया जहां 323 ईसा पूर्व में उसकी मृत्यु हो गई
मौर्य वंश 322 ईसा पूर्व से 184 ईसा पूर्व-
1. चंद्रगुप्त मौर्य- चंद्रगुप्त मौर्य का शासन काल 322 ईसा पूर्व से 298 इस पूर्व का है |
2. चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य की सहायता से अंतिम नंद वंशीय शासक धनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की
आयु में 322 ईश्वर पूर्व मगध के सिंहासन पर बैठकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की |
3. सेल्यूकस ने मेगास्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा |
अशोक 273 ईसा पूर्व से 232 ईसा पूर्व-
1.अपने राज्याभिषेक के आठवें वर्ष अर्थात 261 ईसा पूर्व में अशोक ने कलिंग पर
आक्रमण किया और उसे जीत लिया |
2. कलिंग युद्ध में हुए व्यापक नरसंहार ने अशोक को विचलित कर दिया जिसके परिणाम स्वरुप
उसने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया |
3. अशोक ने पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगति का आयोजन किया |
4.अशोक ने सांची के स्तूप का निर्माण भी कराया |
यवन-
1.सबसे पहला आक्रमणकारी बैक्टीरिया के ग्रीक यूनानी थे जिन्हें यवन के नाम से जाना जाता है |
2. इन्होंने भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के चलाएं |
कुशल वंश 50 ई से 230 ई-
1. कनिष्क कुशल वंश का सबसे प्रतापी शासक था कनिष्क ने 78 ईस्वी में शंक संवत प्रचलित किया |
2.कनिष्क ने बौद्ध धर्म को संरक्षण प्रदान किया था इसके समय में कश्मीर के कुंडलवन ने वसुमित्र की
अध्यक्षता में चतुर्थ बौद्ध संगति आयोजन की गई |
3. कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध प्रतिमा की पूजा (महायान शाखा) आरंभ हुई |
गुप्त वंश 275 से 570 ई-
1. चंद्रगुप्त प्रथम- चंद्रगुप्त प्रथम का शासन काल 319 से 375 ई तक था चंद्रगुप्त प्रथम ने 319- 20 ई
गुप्त संवत प्रारंभ किया |
2. इसने महाराजधीराज की उपाधि धारण की |
3. समुद्रगुप्त - इसका शासन काल 335 से 380 ई तक था समुद्रगुप्त पर प्रकाश डालने वाली अत्यंत
प्रमाणित सामग्री 'प्रयाग प्रशस्ति' के रूप में उपलब्ध है |
4.समुद्रगुप्त गुप्त वंश का एक महान योद्धा तथा कुशल सेनापति था इसी कारण उसे भारत का
नेपोलियन कहा जाता है |
चंद्रगुप्त द्वितीय ( विक्रमादित्य )-
1. चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल 380 से 412 ई तक था चंद्रगुप्त द्वितीय का काल
साहित्य और कला का स्वर्ण युग कहा जाता है |
2.चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय प्राप्त था उसके दरबार में नवरत्न थे |
3.चंद्रगुप्त द्वितीय ने शकों को पराजित कर विक्रमादित्य की उपाधि धारण की थी |
4.चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान 399 ई से 412 ई के मध्य भारत यात्रा पर आया था |
वर्धन वंश-
1.इस वंश की शुरुआत 606 से 647 ई के मध्य हुई थी |
2.हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानांतरित की |
हर्ष वर्धन वंश 606 से 647 -
1.दक्षिण में उसकी सेनन को 620 ईस्वी में चालुक्य नरेश से पुलकेशी ने द्वितीय नर्मदा के
तट से पीछे खदेर दिया था |
2.उसने संस्कृत में नागानंद, रत्नावली तथा प्रियदर्शिका, नमक नाटकों की रचना की थी |
3.इसने कादंबरी और हर्ष चरित्र के रचयिता बाणभट्ट और चीनी विद्वान है "हवेँसोंग"के आश्रय प्रदान किया था |
गुप्तकालीन प्रमुख साहित्यिक रचना-
अभिज्ञान शाकुंतलम् - कालिदास
मालविकाग्निमित्रम् - कालिदास
विक्रमॉवंशीयम - कालिदास
मृच्छकटिकम्- शूद्रक
मुद्राराक्षस देवी चंद्रगुप्तम - विशाखदत्त
पंचतंत्र - विष्णु गुप्त
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