जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म JAIN DHARM EVAM BAUDH DHARM
हेलो दोस्तों मेरा नाम मनीष गुप्त ( M.sc. maths, B.ed. with uptet and ctet qualified)है, आज की इस पोस्ट मे प्राचीन इतिहास से सम्बंधित ज्ञान को ग्रहण करेंगे, जिसे हम "सुपर फास्ट रिवीज़न" का नाम देते है यदि आप आने वाले exam की तैयारी करते है औऱ आपके पास समय बहुत ही कम है तो ऐ पोस्ट आपके लिए ही है, इस विषय से सम्बंधित सभी पोस्ट हमारे ब्लॉग पर नीचे लिंक के माध्यम से पढ़ सकते है l "सुपर फ़ास्ट रिवीज़न" की इस सीरीज़ मे आप SSC, UPPSC, UPSSSC, LEKHPAL, RAILWAYS, ARMY, BANKING, IBPS, LIC AAO, NTPC, DSSSB, STET, UGC NET, NDA, SSB, NAVY, AIRFORCE, CDS, RRB, UPP, UP SI, BANK PO, GROUP-D, UPTET औऱ SSC GD जैसी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा के लिए प्राचीन इतिहास से सम्बंधित ब्लॉग है I उम्मीद है आपको हमारी ऐ पोस्ट जरूर पसंद आएगी l
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बौद्ध धर्म-
महात्मा बुद्ध
महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में नेपाल के तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुंबिनी ग्राम में हुआ था, इनके पिता का नाम शुढ़ोधन (शाक्य गण के प्रधान )तथा माता का नाम महामाया ( कोलियागण की राजकुमारी ) थी I 35 वर्ष की आयु में गया (बिहार) के पूर्व उरुग्वेला नामक स्थान पर पीपल वृक्ष के नीचे निरंजना (फल्गु) नदी के तट पर बैसाख पूर्णिमा की रात्रि में समाधीष्ठ अवस्था में इनको ज्ञान (निर्वाण) प्राप्त हुआ l
महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश (धर्मचक्र प्रवर्तन) सारनाथ (ऋषिपटनम या मृगदाव ) में दिया, बुद्ध ने अपना उपदेश लोक भाषा पाली में दिया I
483 ईसा पूर्व में 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध का देहांत (महापरिनिर्वाण) कुशीनगर में हुआI
बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है- बुद्ध, धम्म तथा संघ l
कुछ महत्वपूर्ण बिंदु-
जन्म प्रतीक - कमल व सांड
ज्ञान प्राप्ति- पीपल बोधि वृक्ष
प्रथम उपदेश- धर्मचक्र प्रवर्तन
महापरिनिर्वाण चिन्ह - प्रतीक स्तूप
कुछ महत्वपूर्ण बौद्ध संगतिया -
1. प्रथम बौद्ध संगीति 483 ईसा पूर्व सप्तपणी गुफा (राजगृह,बिहार) नामक स्थान पर अजातशत्रु (हर्यक वंश) शासक के समय में महाकश्यप के अध्यक्षता का की उपस्थिति में हुआ थाl
2. द्वितीय बौद्ध संगति 383 ईसा पूर्व चुल्लबग्ग (वैशाली, बिहार) नामक स्थान पर कल कालाशोक (शिशुनाग वंश) शासक के समय में सब्बकामी के अध्यक्षता की उपस्थिति में हुआ थाI
3. तृतीय बौद्ध संगति 250 ईसा पूर्व में पाटलीपुत्र (मगध की राजधानी) नामक स्थान पर अशोक (मौर्य वंश) के शासन के समय में मोगलीपुत्त तिस्स के अध्यक्षता में हुआ था I
4. चौथा बौद्ध संगति 72 ईसा पूर्व में कुंडलवन (कश्मीर) नामक स्थान पर कनिष्क (कुषाण वंश) के शासक के समय में वास्तुमित्र के अध्यक्षता में हुआ थाl
इस संगत में बौद्ध धर्म हीनयान और महायान में विभक्त हो गया था|
जैन धर्म-
महावीर-
प्रथम जैन तीर्थंकर ऋषभदेव जैन धर्म के प्रवर्तक थे, पासर्वनाथ जैनियों के 23वें तीर्थंकर थे, जिन्होंने अहिंसा, सत्य एवं अपरिग्रह के सिद्धांतों का प्रतिपादन किया, जिसमें बाद में महावीर द्वारा "ब्रह्मचर्य" का सिद्धांत जोड़ा गयाl
जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए जिनमें महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 में तीर्थंकर थे, इनका जैन धर्म का वास्तविक "संस्थापक" भी माना जाता हैI
महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुंडग्राम (वज्जी संघ का गणतंत्र) में 540 ईसा पूर्व में हुआ थाI इनके बचपन का नाम वर्धमान था |
इनके पिता का नाम सिद्धांर्थ (ज्ञातृक क्षत्रिय ) तथा माता का नाम त्रिशला (लीच्छावी नरेश चेतक) की बहन थी l महावीर स्वामी को 12 वर्ष की गहन तपस्या के पश्चात जंभिकग्राम के निकट रिजुपालिका नदी के तट पर एक वृछ के नीचे सर्वोच्च ज्ञान (कैवल्य) की प्राप्ति हुईl कैवल्य की प्राप्ति के पश्चात उन्हें कई नाम से जाने लगा जैसे- कैवलिन, जिन (विजेता), निग्रंथ (बंधन रहित), महावीर, अर्हत (योग्य) आदि l
लगभग 72 वर्ष की आयु में 468 ईसा पूर्व में महावीर स्वामी की राजगृह के समीप पावापुरी में मृत्यु हो गईI
मौर्य काल में जैन धर्म दो संप्रदायों में बट गए श्वेतांबर एवं पीतांबर | श्वेतांबर श्वेत वस्त्र धारण करते हैं जबकि दिगंबर वस्त्रो का परित्याग करते हैंl उत्तर भारत में श्वेतांबर जैनों तथा दक्षिण भारत में दिगंबर जैन की प्रधानता हैl जैन धर्म में पांच महाव्रत का अस्तित्व है- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय व ब्रह्मचर्य (इसे महावीर स्वामी द्वारा जोड़ा गया) l जैन धर्म में त्रिरत्न का वर्णन मिलता है जिनमें- सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक आचरण है
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